मंगलवार, 9 मार्च 2021

एकादशी

 


हिन्दू धर्म मान्यताओं के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि एकादशी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। साल में 24 एकादशियां आती है जबकि अधिक मास लगने पर में 26 एकादशियां होती है। साथ ही ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल नहीं खाने चाहिए।


जो लोग एकादशी का व्रत नहीं भी रखते है। इस दिन उनके लिए भी चावल खाना वर्जित होना है। चावल न खाना एकादशी के ही नियमों में शामिल है। लेकिन क्या जानते है कि एकादशी के दिन चावल क्यों नहीं खाने चाहिए?



ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है, किन्तु द्वादशी को चावल खाने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है। प्राचीन कथा के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया था और उनका अंश पृथ्वी में समा गया। 


बाद में ऐसा माना गया कि चावल और जौ के रूप में ही महर्षि मेधा उत्पन्न हुए इसलिए चावल और जौ को शास्त्रों में भी एकादशी के दिन न खाने को कहा गया है। जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया, उस दिन एकादशी तिथि थी। इसलिए एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना गया।


मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस व रक्त का सेवन करने के सामान है। वैज्ञानिक तथ्य के मुताबिक चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है। जल पर चन्द्रमा ग्रह का प्रभाव अधिक पड़ता है।

चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है। इससे व्यक्ति का मन विचलित और चंचल हो जाता है। मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। इसलिेए भी एकादशी व्रत में चावल खाना मना किया गया है।

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