शुक्रवार, 15 जनवरी 2021

कुछ न कुछ छूटना तो लाज़मी है

 


अचानक से आज यूँ ही ख़्याल आया कि....


अख़बार पढ़ा तो प्राणायाम छूटा,

प्राणायाम किया तो अख़बार छूटा,

दोनों किये तो नाश्ता छूटा,

सब जल्दी जल्दी निबटाये

तो आनंद छूटा,

मतलब.....

कुछ ना कुछ छूटना तो लाज़मी है...!!


जॉब देखो तो परिवार छूट जाता है,

और परिवार देखो तो जॉब छूट जाता है 

और दोनों को छोड़ने की कल्पना मात्र से,

लगता है कि रूह छूटी,

बीवी और मां के बीच के भी कुछ ना कुछ छूट ही जाता है

कुछ ना कुछ छूटना तो लाजमी है 


हेल्दी खाया तो स्वाद छूटा,

स्वाद का खाया तो हेल्थ  छूटी,

दोनों किये तो.....

अब इस झंझट में कौन पड़े..!!


मुहब्बत की तो शादी टूटी,

शादी की तो मुहब्बत छूटी

दोनों किये तो वफ़ा छूटी,

अब इस पचड़े में कौन पड़े..!!

मतलब

कुछ ना कुछ छूटना तो लाज़मी है...!!!


जो जल्दी की तो सामान  छूट गया,

जो ना की तो ट्रेन छूट गयी,

जो दोनों ना छूटे तो,

विदाई के वक़्त गले मिलना छूट गया,

मतलब...

कुछ ना कुछ छूटना तो लाज़मी है...!!!


औरों का सोचा तो मन का छूटा,

मन का लिखा तो तिस्लिम टूटा,

ख़ैर हमें क्या..

ख़ुश हुए तो हँसी छूटी,

दुःखी हुए तो रुलायी छूट गयी,

मतलब...

कुछ ना कुछ छूटना तो लाज़मी है...!!!


इस छूटने में ही तो पाने की ख़ुशी है,

जिसका कुछ नहीं छूटा,

वो इंसान नहीं मशीन है,

इसलिये कुछ ना कुछ छूटना तो लाज़मी है...!!!


जी लो जी भर कर

क्योंकि एक  दिन 

ये ज़िन्दगी छूटना भी

लाज़मी है.....

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