आर्य महापुरुषों में श्रेष्ठ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और योगीराज श्रीकृष्ण हैं। इनमें श्री कृष्ण को सोलह कला संपूर्ण भी कहा जाता है। यह सोलह कला कौन सी है, इस पर प्रमाणिक रूप से प्रकाश नहीं डाला गया है।...
यजुर्वेद का एक मंत्र ईश्वर के लिए " षोडशी " संबोधन प्रयोग करता है: प्रजापति: प्रजया* सम्रांस्त्रीनी ज्योतिङ्गशि सचते स षोडशी।।
यजु 8/36....
अर्थात: प्राणियों के प्रकाश हेतु जिस प्रजापति ने तीन ज्योतियों अग्नि, सूर्य और बिजली को रच के संयुक्त किया है, उस का नाम षोडशी (सोलह कला संपूर्ण ) है।....
ईश्वर की सोलह (16 ) कला / गुण , प्रश्नोपनिषद के छटे प्रश्न के उत्तर में इस प्रकार बताए गए हैं...
१-ईक्षण अर्थात यथार्थ विचार जैसे सृष्टि की रचना...
२-प्राण, विश्व का धारणकर्ता...
३-श्रद्धा , सत्य में विश्वास...
४-आकाश..
५-वायु...
६-अग्नि...
७-जल...
८- पृथ्वी...
९-इन्द्रिय...
१०-मन अर्थात ज्ञान...
११-अन्न...
१२- वीर्य अर्थात बल और पराक्रम..
१३- ताप, अर्थात धर्मानुष्ठान सत्यचार...
१४- मंत्र, अर्थात वेद विद्या...
१५-कर्म, अर्थात सब चेष्टा...और
१६-नाम, अर्थात दृश्य और अदृश्य पदार्थों की संज्ञा...
यह सोलह गुण अथवा कला केवल ईश्वर में ही हैं।
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